उन्मुक्त के प्रस्थान के बाद हिंदी चिट्ठाकारिता में सद्भावानात्मक अभिव्यक्ति को प्रतिष्ठापित करने वाले ज्ञान दत्त पाण्डेय जी मंच पर उपस्थित हुए हैं हिंदी चिट्ठाकारिता में अपने अनुभवों को बयान करने .( किलिक करें)

मुझे समझ में नहीं आ रहा कि इस उत्सव के माध्यम से परस्पर प्रेम का हस्तांतरण हो रहा है या हिंदी चिट्ठाकारिता का नया इतिहास लिखा जा रहा है . खैर जो भी हो रहा है अद्भुत है....मुझे ही नहीं आप को भी आनंदानुभूति हो रही होगी ?
     
     उत्सव जारी है, मिलते हैं एक विराम के बाद यानी सायन 04 बजे परिकल्पना पर...

5 comments:

  1. बेहतरीन अनुभव...सभी को कुछ-न-कुछ सीखने का मौका मिलेगा..बधाइयाँ !!

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  2. वाह अपने ज्ञानदत्त जी -स्वागत है ,तालियाँ !

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  3. ज्ञानदत्त जी की उपस्थिति गौरवान्वित करने वाली है ! ब्लॉग उत्सव का एक बेहतर रंग ! आभार ।

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  4. ज्ञान जी के अनुभवों से हमेशा कुछ नूतन सीखने मिलता है, बहुत आभार!

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