जीवन
एक विशालकाय
कैनवास से कम नहीं 
चित्रकार परमात्मा का
अमिट सृजन
सुख दुःख,हँसी खुशी,
विपदा,विलाप,दया,क्रोध
प्यार,इर्ष्या द्वेष,
विश्वास और ममता के
रंगों से भरा चित्र
परमात्मा ने बड़े
मनोयोग से
विभिन्न रंगों को अपनी
कूंची से सजाया है
किस का जीवन किस रंग से
भरा जाएगा
सिवाय उसके कोई नहीं
जानता
परमात्मा किस पात्र का
रंग कब बदल देगा
ये भी वही जानता
कैनवास वही रहेगा पात्र
बदलते रहते
किस का स्थान कब तक
निश्चित है
एक पहेली से कम नहीं
मन सोचता
कहीं संसार इश्वर के
खेल का मैदान तो नहीं
समस्त प्राणी उसके खिलाड़ी
प्रकृती उसका स्टेडियम
आकाश,दर्शक दीर्घा
जहां से बैठ कर 
परमात्मा खेल देखता
पात्र बदलता रहता
13-03-2012
354-88-03-12

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