रात दिन कुछ नहीं देखा,उम्र के सैलाब में
जिंदगी हमने गमा दी,यूं ही शुभ और लाभ में

रातदिन खटते रहे बस लक्ष्मी की चाह में
मुश्किलें थी,दिक्कतें थी,उन्नति की राह में
             मगर हम पिसते रहे
             एडियाँ   घिसते  रहे
सिर्फ दौलत और पैसा ही बसा था   ख्वाब में
जिंदगी हमने गमा दी,यूं ही शुभ और लाभ में

पंडितों को जन्मपत्री दिखा किस्मत पूछते
आश्रम,दरगाह,मंदिर, हम सभी को पूजते
              सभी से लुटते रहे
              और हम जुटते रहे
कभी टोने टोटके में,कभी पूजा ,जाप में
जिंदगी हमने गमा दी,यूं ही शुभ और लाभ में

सुख नहीं कोई उठाया,मुफलिसों से हम जिये
बहुत कुछ हमने कमाया,मगर सब किसके लिये
                उम्र के इस मोड़ पर
                गए सब संग छोड़ कर
इस बुढ़ापे में सहारा,कोई भी ना साथ में
जिंदगी हमने गमा दी,यूं ही शुभ और लाभ में

मदन मोहन बाहेती'घोटू'


0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.

 
Top