परिकल्पना और आसमान पर ज़िंदगी की तहरीर.. परिकल्पना और आसमान पर ज़िंदगी की तहरीर..

आसमान पर ज़िंदगी की तहरीर...! यूँ ही नहीं लिखी जाती - कुछ अफ़साने होते हैं,कुछ घुटते एहसास,कुछ तलाशती आँखों के खामोश मंज़र, कुछ  ……जाने ...

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11:15 am

परिकल्पना और ग़ज़ल परिकल्पना और ग़ज़ल

ग़ज़ल को मैं कहूं ग़ज़ल मुझको कहे कुछ वो सुने कुछ मैं सुनूँ - तेरे दिल में कुछ राहें बने   ....  दिल पे रख कर हाथ , अपनी धड़कन...

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12:16 pm

परिकल्पना - युवा पीढ़ी का बढ़ता आक्रोश और दिशा से भटकती युवा पीढ़ी परिकल्पना - युवा पीढ़ी का बढ़ता आक्रोश और दिशा से भटकती युवा पीढ़ी

सुना - अपने देश के नौजवान क्रुद्ध हैं  अपने देश की जो है परम्परा - उससे वे रुष्ट और क्षुब्ध हैं  … सच है, यौवन चलता सदा गर्व से ...

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12:01 pm

परिकल्पना और एक महत्वपूर्ण कड़ी का चेहरा और सोच !!! परिकल्पना और एक महत्वपूर्ण कड़ी का चेहरा और सोच !!!

विरोध,पलायन,जिजीविषा,और बदलते रास्तों ने परिवार,समाज,देश की काया बदल डाली  परिवर्तन के नाम पर  सारी व्यवस्था बदल डाली  दुआओं और...

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11:34 am

परिकल्पना और व्यक्तित्व परिकल्पना और व्यक्तित्व

व्यक्तित्व का निर्माण,गुणों की स्थापना,एक प्राकृतिक अस्तित्व एक दिन में नहीं होता,वर्षों की साधना,प्रखर अभ्यास से एक रौशनी दसों दिशाओं ...

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12:46 pm

परिकल्पना और स्त्री परिकल्पना और स्त्री

मंत्र मन के खामोश स्वर से निःसृत होते हैं  और वही निभते और निभाये जाते हैं ! हम सब जानते हैं जीवन के प्रत्येक पृष्ठ पर कथ्य औ...

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10:35 am
 
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