परिकल्पना - धीमी रौशनी सी ग़ज़ल परिकल्पना - धीमी रौशनी सी ग़ज़ल

हल्की सी बारिश  धीमी रौशनी सी ग़ज़ल  और किशोर चौधरी  …।  किशोर चौधरी के शब्दों में,  रेत के समंदर में बेनिशाँ मंज़िल...

और जानिएं »
10:30 am

परिकल्पना - दर्दनाक मुक्ति की रचना परिकल्पना - दर्दनाक मुक्ति की रचना

मर गई - कुँवारी या  ....  मर गई, यातना खत्म, कहानी खत्म  लोगों ने भी एक 'आह' भर ली, ज़िंदा रहती  तो उसकी चीखों को नसीहत...

और जानिएं »
10:30 am

परिकल्पना - समझना मुश्किल है वक़्त की माँग को परिकल्पना - समझना मुश्किल है वक़्त की माँग को

चुप रहना बेहतर है, चुप नहीं रहते जवाब ही दे देते तो ही सही था  …  लगातार कोई अपशब्द कहे तो अनसुना करना सही है  अपशब्द के विरोध...

और जानिएं »
10:30 am

परिकल्पना - खामोश दिल की सुगबुगाहट परिकल्पना - खामोश दिल की सुगबुगाहट

खामोश दिल की सुगबुगाहट  मयूर नृत्य की छुन छुन सी होती है  भावों का उतार चढ़ाव आक्रोश में भी  सितार पर तैरती उँगलियों सा लगता है  ...

और जानिएं »
10:30 am

परिकल्पना - आहटें बादलों की परिकल्पना - आहटें बादलों की

सन सनननन हवा  कुछ नमी सी है  हल्की हल्की आहटें बादलों की है  इन्द्र ने मेघ मल्हार छेड़ दिया है  सोचा है रिमझिम फुहारों से  कु...

और जानिएं »
10:30 am
 
Top